अक्सर हम किसी की जिंदगी में बस इस तरह चुपचाप दर्ज होते हैं,
जैसे वक्त की किताब का कोई पन्ना बिना पढ़े ही पलट दिया गया हो।
जैसे कुछ यादें, बिना एहसास के समेट दी गई हों,
जो कभी इत्तेफाक से बने थे, अब बस चुपचाप खामोश हो गए हों।
हमारे बिना कहे, बिना बोले, कितनी बातें अब भी हैं,
जो वक्त के सफर में खो कर, किसी और की यादों में समा गईं।
हम कभी कभी ऐसे ही दर्ज होते हैं, जैसे एक ख्वाब,
जो आँखों से ओझल हो जाए, फिर भी दिल में जिंदा रहता है।
हर याद का एक रास्ता होता है, लेकिन मंजिल कहीं और होती है,
हम उस रास्ते को ही मंजिल समझ कर गुजरते हैं, पर जल्दी ही गुम हो जाते हैं।"