Wednesday, December 5, 2018

माइनस 18 डिग्री सेंटीग्रेड की वो रात- स्पीति डायरीज




















पूरे चार घंटे से मैं बिस्तर में पड़ा करवटें बदल रहा था लेकिन नींद थी कि आंखों से कोसों दूर थी। दिमाग में न जाने कैसे कैसे ख्याल आ रहे थे। मैं ड्रिंकर तो नहीं हूं पर अक्सर पहाड़ों पर थोड़ी सी पी लेता हूँ। रात भी जॉनी वाकर प्लेटिनम की बोटल् लुभा तो खूब रही थी पर कुछ तो सोमवीर का डर और कुछ इतनी ऊंचाई पर रुके होने के कारण, आज रात सिर्फ एक ही पैग लिया था शायद यही कारण था वरना सोने में इतनी दिक्कत तो कभी नहीं आती। कल रात कॉमिक का तापमान माइनस 18 डिग्री सेंटीग्रेड रिकॉर्ड किया गया था। उठकर टाइम देखना चाहा तो मोबाइल इतना ठंडा था कि छूने से ही कंपकंपी बंध गयी। एक बजा था, मतलब अगर नींद नहीं आयी तो कम से कम 5 घंटे ऐसे ही करवटें बदलना पड़ेगा, बेहद डरावना ख्याल था खासकर जब आप इतनी ऊंचाई पर हों और अकेले जागना पड़ जाए तो। लेकिन कहते हैं भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं। हम दो ही लोग थे मैं और सोमवीर सिंह और हम दो लोग ट्रिपल ऑक्यूपेंसी वाले रूम में रुके थे। जब रूम मिला था तो बड़े खुश थे कि आज तो खुलकर सोने को मिलेगा पर किसको पता था, हर इच्छा पूरी कहाँ होती है। यहां तो इतनी ठंड में बाहर भी नहीं निकल सकते जो टूटते तारे को देखकर विश ही मांग लेते की आज की रात नींद आ जाये । खैर तभी सामने वाले बिस्तर से उनींदी सी आवाज आई, लगा कमरे में ऑक्सीजन की कमी की वजह से मतिभ्रम भी हो चला है जो आवाजे आ रही है क्योंकि सोमवीर को तो अगर बाहर भी डाल आता तो वो तो वहां भी सोया हुआ होता पर नहीं फिर वही आवाज आई इस बार थोड़ा जोर से,
बॉस नींद नहीं आ रही क्या।
वाकई दिल को इतना सुकून शायद कभी नहीं मिला होगा जितना सोमवीर की आवाज को सुनकर मिला।
मैंने कहा कि मुझे तो नहीं आ रही भाई पर तू क्या कर रहा है सोया नहीं ?
बॉस मुंह ढकता हूँ तो कम ऑक्सीजन की वजह से सांस ठीक से नहीं आ रही, नाक भी बंद है और बाहर मुंह निकालता हूँ तो लगता है जम जाऊंगा इतनी सर्दी में।
खुशी के मारे मैं बिस्तर से कूदने ही वाला था पर याद आ गया कि बाहर हाड़ कंपकंपाने वाली ठंड है।
दिल को अजीब सा सुकून मिला था कि चलो मैं अकेला ही नहीं जो जाग रहा हूँ, इसको भी नींद नहीं आ रही लेकिन अपनी भावनाओं को दबाकर मैने सोमवीर से सहानुभूति दिखाई की यार पिछले चार घंटे से करवटें बदल रहा हूँ पर नींद का नामो निशान नहीं है। गुस्सा भी किया कि या तो बिल्कुल नहीं लेने देना था या 2 पैग और लेने देता तो शायद ये हालात नहीं होते। और हकीकत में मैं 2 पैग और ले भी लिया होता अगर मेरी बेशकीमती बोटल को ये फोड़ने के लिए नहीं उठा लिया होता।
अंजान होमस्टे लांगजा 2 विलेज में जिस रात ये चलचित्र मेरे दिमाग में चल रहा था उसके किरदार मैं और सोमवीर सिंह थे जो कि दिल्ली पुलिस के बेहद दबंग पुलिस ऑफिसर माने जाते हैं और मेरी इस तरह की यात्राओं के हमेशा हमसफर रहे हैं। ये उनकी मर्जी के ऊपर है कि मुझे किस तरह संबोधित करते हैं। जब वो अच्छे मूड में होते हैं तो सर, थोड़े खड़ूस मूड में बॉस और अगर फोन पर मेरी किसी से चुगली करनी हो तो मेरे से पांच चार साल छोटे होने के बावजूद बापू कहना पसंद करते हैं और मुझे चिढ़ भी सबसे ज्यादा इसी शब्द से है, मेरे छोटे भाई की उम्र का आदमी अगर मुझे बापू कहे घोर कलयुग है ये तो। क्या कर सकता हूँ अगर आप किसी शब्द से चिढ़ते हैं तो दुनिया उसी शब्द का सबसे ज्यादा उपयोग करती है।
आज का दिन बेहद शानदार रहा था। सुबह 8 बजे डेजोर होटल काजा से शानदार नाश्ता करने के बाद हम दोनो लोगों ने Key मोनेस्ट्री होते हुए किब्बर गांव, टशी गंग गांव और Key मोनेस्ट्री के टॉप पॉइंट से फोटोग्राफी करने का निश्चय किया था। होटल डेजोर काजा के बहुत अच्छे होटल्स में शुमार होता है और उसके मालिक करण एक बेहतरीन होस्ट। पहली रात हम लोगो ने करण के साथ खूब मस्ती और ढेर सारी बातें की थी तो करण से दोस्ती हो गयी थी जिसका नतीजा सुबह बेहतरीन नाश्ते के रूप में सामने आया था। आज मंगलवार था और सोमवीर मंगलवार को व्रत रखते हैं फिर भी उनके लिए नाश्ते में काफी कुछ था। नौ बजते बजते हम दोनों ने फॉर्च्यूनर बाहर निकाली और चल पड़े। हमेशा की तरह ड्राइविंग सीट सोमवीर ने संभाल ली थी। पहला डेस्टिनेशन था Key मोनेस्ट्री जिसको कल शाम भी हम चिचेम विलेज जाते हुए छोड़ गए थे। थोड़ी ही देर में हम लोग Key मोनेस्ट्री जाने वाली सड़क पर पहुंच गए लेकिन एक बार फिर कल शाम की तरह यह तय किया कि लौटते हुए देखेंगे हम लोग आगे बढ़ गए। बेहतरीन लैंडस्केप बिखरे पड़े थे। कुछ आगे जाकर टशी गंग गांव जाने वाली सड़क पर गाड़ी डाल दी। यहां से आगे ढेर सारे शार्ट कट्स बने हुए हैं जिन पर कम से कम फॉर्च्यूनर को दौड़ लगाने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। रास्ता क्या था कच्ची उबड़ खाबड़ सड़क थी जिसका एक छोर तो हमने पकड़ा हुआ था और दूसरा अनंत की और जा रहा था। थोड़ा आगे जाने पर हमने गाड़ी Key मोनेस्ट्री के टॉप व्यू पॉइंट के लिए गाड़ी बिना सड़क के ही मोड़ दी जिसके बारे में आज सुबह ही करण से पता चला था। गाड़ी पहाड़ों के आखिरी छोर पर खड़ी करके हम दोनों पैदल ही आगे बढ़े। बेहद तेज हवा थी कान दर्द करने लगे थे। थोड़ा सा आगे बढ़ते ही पहाड़ खत्म हो गया और हमारे सामने मंत्र मुग्ध करने वाला नजारा था। लगभग हजार फीट गहरी घाटी के सबसे ऊंचे हिस्से पर हम खड़े थे। नीचे Key मोनेस्ट्री साफ दिखाई दे रही थी। सोमवीर को फोटोग्राफी का बहुत शौक है उसने तुरंत पोज बनाने शुरू कर दिए। मुझे फोटो खिंचवाने का उतना शौक तो नहीं है बस सोमवीर के फोटो खिंचवाने के बाद उससे दो चार ज्यादा फोटो मैं भी खिंचवा लेता हूँ जिससे यादें बनी रहें। ये पल वाकई यादगार था आप एक कदम बढ़ाएं और हजारों फ़ीट नीचे चिरनिद्रा में आराम फरमाएं। यहां पर ढेर सारी फोटोग्राफी के बाद हम लोग टशी गंग गांव के लिए आगे बढ़ चले।
कुछ किलोमीटर के बाद सड़क पर ही बर्फ मिलना शुरू हो गयी थी। कुछ दिन पहले ही यहां भारी बर्फबारी हो कर हटी थी। सामने ढेर सारी बर्फ हो तो हम क्या कोई भी फोटोग्राफी का मोह छोड़ नहीं सकता। आखिर हम लोग घूमने जाते ही क्यों हैं ? अपना नहीं तो कम से कम सोमवीर का तो पक्का पता है कि जब जब उसके पास फेसबुक पर पोस्ट करने के लिए फोटोज का अकाल होने लगता है तब तब उसका फोन आता है कि बॉस छुट्टी बची हुई हैं कहीं चलना है क्या।
पहाड़ अब ऊंचे नीचे उभारों और कहीं समतल भूक्षेत्र में तब्दील हो चुके थे और आप गाड़ी को सड़क जैसी दिखती लीक पर चलाएं या उससे हटकर कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा था। सामने ही याक्स का एक बड़ा झुंड दिखाई दिया करीब 50 के आसपास बच्चे और मम्मी पापा याक्स कुदरत निर्मित इन बेहतरीन चारागाहों में मजे कर रहे थे। हम लोग वापसी में इनके साथ फोटो खिंचाने का सोचकर आगे टशी गंग की तरफ बढ़ गए। 4-5 घरों का गांव टशी गैंग पता नहीं गैंग जैसा तो कुछ दिखा नहीं, गैंग तो अपने वेस्टर्न यू पी में होते हैं, पर था बहुत खूबसूरत। सड़क आगे भी जा रही थी हम थोड़ा रुककर आगे बढ़ चले पर जल्दी ही सड़क बेहद खराब हो गयी और न चाहते हुए भी हमें वापिस लौटना पड़ा। रास्ते में याक्स का रेहड़ फिर मिला तो गाड़ी रोक ली। कई बार अगर आदमी आपकीं बात न समझे तो उसे उसकी नियति पर छोड़ देना चाहिए वही सोमवीर के मामले में मैंने किया। लाख मना करने के बावजूद श्रीमान हीरो के माफिक लाल जैकेट डाल कर याक्स की तरफ बढ़े और लाल रंग की वो खूबसूरत जैकेट जो लड़कियों को उनकी और बेहद आकर्षित करती थी एक पापा याक को विकर्षित कर गयी और इनके सड़क से नीचे उतरते ही वो हुंकारते हुए इनकी तरफ दौड़ा। दिल्ली पुलिस के कमांडो न होते तो मुझे उस दिन पक्का अपने डॉक्टर होने का वहीं सबूत देना पड़ता। खैर झेंपा हुआ आदमी कहीं ज्यादा खतरनाक होता है ये उस दिन इन्होंने साबित भी किया। बेसबॉल का बैट निकाल कर निहत्ते पशु को डराने का मुकदमा अगर सरकार चाहे तो चला सकती है विटनेस मैं दूंगा। खैर बेसबॉल का बैट इनके हाथ में देखते ही पापा याक् जितने गुस्से से इनकी तरफ आया था उससे भी ज्यादा तेजी से उल्टे पैर भाग गया, फिर तो इन्होंने बच्चे याक्स से खूब दोस्ती की और फ़ोटो भी खिंचाई। मेरा तो अन्डरस्टुड है कि पैक्ट के मुताबिक इनसे कुछ ज्यादा फोटो मैने भी खिंचाकर इनको कृतार्थ किया। 2 बजने को थे और आज के प्रोग्राम के अनुसार हमें कॉमिक होते हुए लांगजा में विश्राम करना था। विनोद वर्मा भाईसाहब के सौजन्य से अभी तक की यात्रा बिना किसी कठिनाई के निर्विघ्न सम्पन्न हो रही थी। विनोद वर्मा जी से मेरी बात एक इत्तिफाक ही था जिसके बाद मेरी उनके दिल्ली स्थित ऑफिस पर एक शानदार मुलाकात हुई। प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी विनोद वर्मा जी होम स्टेज ऑफ इंडिया के सह संस्थापक हैं। वो एक बेहतरीन ट्रेवल राइटर, फोटोग्राफर हैं और उन्होंने पहाड़ों के बारे में बहुत कुछ लिखा है और कई मैगजीन्स में उनके फोटोज और आर्टिकल पब्लिश होते रहते हैं। मेरे इस पूरे भ्रमण के दौरान होम स्टेज में रात्रि विश्राम का इंतजाम उन्ही के द्वारा किया गया था जो निर्विघ्न चल रहा था और कई मामलों में ये ट्रिप मेरे पिछले सभी अनुभवों से अलग था। ये कम बजट टूर था जिसमें हम इन दुर्गम जगहों पर होटल्स के बजाय होम स्टेय को ज्यादा तरजीह दे रहे थे।
हम लोग एक बार फिर से Key मोनेस्ट्री के सामने से निकल रहे थे और दुर्भाग्यवश मेरी स्पीति की पिछली छह यात्राओं की तरह इस बार फिर यही डिसाइड हुआ कि Key मोनेस्ट्री को फिर कभी देखेंगे, हम दोनों 3 बजे काजा पहुंच गए।
काजा में सिर्फ एक ही पेट्रोल पंप है इस वजह से टूरिस्ट सीजन में अक्सर बेहद भीड़ रहती है पर किस्मत अच्छी थी बिल्कुल खाली मिला और हम लोगों ने मौके का फायदा उठाते हुए टंकी फुल करा लिया अब हम कम से कम अगले दो दिन के लिए निश्चिंत हो गए थे।
काजा समुद्र तल से लगभग 3800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से कॉमिक जाने के लिए दो रास्ते हैं एक रास्ता अधिक दुर्गम मगर छोटा है जो हिक्किम गांव होते हुए जाता है।
हिक्किम कॉमिक के पास ही स्थित एक अलग गांव है जिसमें विश्व का सबसे ऊंचा डाकघर स्थित है। हमको लांगजा गांव में रुकना था तो निर्णय लिया कि हिक्किम होते हुए जाएंगे व कॉमिक होकर लांगजा निकल जाएंगे।
चार बजे के आसपास हम लोग हिक्किम डाकघर की फोटोग्राफी करते हुए कॉमिक पहुंच गए जहां का वर्णन मैं अपनी एक अलग पोस्ट में कर चुका हूं।
कॉमिक सड़क मार्ग से जुड़ा विश्व का सबसे ऊंचा गांव है जिसके दावे पर लोग अक्सर संदेह करते रहते हैं। समुद्र तल से लगभग 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में Tangyud Sa-skya-gong-mig गोम्पा स्थित है जिसको विश्व की कुछ सबसे ऊंची मोनेस्ट्री में से माना जाता है। माना जाता है कि इसको चौदहवीं शताब्दी में बनाया गया था।
कभी ये पूरा भूक्षेत्र लहलहाता हुआ समुद्र हुआ करता था जो कालांतर में पहाड़ी रेगिस्तान/पठार में रूपांतरित हो गया। इसके प्रमाण और सामुद्रिक जीवों के जीवाश्म इस क्षेत्र में जगह जगह बिखरे पड़े हैं और अक्सर इस पर शोध चलते रहे हैं। बौद्ध मठ के लामा ने भी हमको कुछ जीवाश्म दिखाए जिसकी फोटो आप लोगो के अवलोकन हेतु संलग्न कर रहा हूँ।
पांच बजने वाले थे हम लोग कॉमिक से अपने अगले पड़ाव लांगजा 2 के लिए चल दिये। लगभग 20 मिनट बाद हम भगवान बुद्ध की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध गांव लांगजा में खड़े थे।
किब्बर की तुलना में लांगजा गांव छोटा है, वहां महज 33-34 घर हैं।
समुद्रतल से इसकी ऊंचाई लगभग 4400 मीटर है। हिक्किम की ऊंचाई भी लगभग लांगजा या किब्बर के ही बराबर है। लांगजा में हजार साल से ज्यादा पुराना लांग (बौद्ध) मंदिर है। इसकी बहुत मान्यता है और स्पीति घाटी के सभी देवताओं का केंद्र माना जाता है।
आधुनिकता से दूर ये गांव हज़ारों साल पहले बसे होंगे। अभी भी यहां के निवासियों की अपनी संस्कृति को बचाए रखने की कोशिशें साफ दिखाई देती हैं। यहां के लोग बेहद सरल, ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ होते हैं।
गाड़ी पार्क करने के उपरांत भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ ढेर सारी फोटो खिंचाई और अपने आज के होम स्टेय "अंजान होम स्टे" की और बढ़ चले। बाद में पता चला कि होम स्टे के मालिक का नाम अंजान है जो कि लांगजा विलेज की स्थानीय समिति के सदस्य भी हैं। यहां लोगो के झगड़े अधिकतर इनके मुखिया व ग्राम समिति के द्वारा ही सुलझा लिए जाते हैं।
अंजान होम स्टे एक स्पीति स्टाइल में बना खूबसूरत मकान था जिसमें लगभग 3 कमरे होम स्टेय की तरह इस्तेमाल किये जा रहे थे। उस दिन किस्मत से कोई बुकिंग नहीं थी तो हम लोगो ने अलग सोने के विचार से ट्रिपल बैड रूम को चयन किया। बदकिस्मती से कुछ दिन पूर्व हुए भारी हिमपात की वजह से काजा से ऊपर के अधिकतर गांवों में सभी टॉयलेट फ्रीज हो चुके थे और इनके पास एकमात्र ऑप्शन स्पीतियन ड्राई पिट्स टॉयलेट उपलब्ध थे। मजबूरी थी थोड़ी न नुकर के बाद कोई चारा न देखते हुए हां कर दी और सामान लगा दिया गया। दिन लगभग छिप चुका था। छाती को चीरने वाली ठंड शुरू हो चुकी थी उसी के साथ अब तक सबसे ऊंचाई पर बिताए जाने वाली रात की भी शुरुवात हो चुकी थी।
वैसे तो मैं 7-8 बार लेह लद्दाख गया हूँ और 5-6 बार इससे पहले भी स्पीति आ चुका था पर संभवतः 4400 मीटर की ऊंचाई पर रात बिताने का पहला अनुभव था। ऊंचाई को थोड़े वक्त में गाड़ी में बैठकर पार करना और ऊंचाई पर वक्त बिताना या ट्रेकिंग एकदम अलग है। मुझे अभी भी याद है कि 2016 में लेह ट्रिप के दौरान हम लोगो ने खारदुंगला पास पर लगभग 2 घंटे मस्ती की थी वो भी शर्ट उतार कर। इसके अलावा दयारा बुग्याल पर भी रात्रि विश्राम कर चुका था, बेदिनी बुग्याल भी रात्रि विश्राम किया था परंतु बुग्याल ऑक्सीजन क्राइसिस एरिया नहीं होते हैं तो ज्यादा दिक्कत नहीं आती। स्पीति और लेह ऑक्सीजन डेफिसेन्ट एरिया हैं जहां आप अगर उचित अनुकूलन के बिना जाते हैं तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। खैर चिंता की कोई बात नहीं थी क्योंकि डाईमोक्स टेबलेट अपने पास उपलब्ध थी। सौभाग्य से अभी तक की किसी भी यात्रा में इसको खाने की नौबत नहीं आयी थी हां देने की नौबत कई बार आयी थी।
बॉस आज आपने बिल्कुल नहीं पीने का वायदा किया था सोमवीर ने कहा
यार एक पैग तो लेने दे। तुझे तो पता है सिर्फ टूर पर ही थोड़ा बहुत लेता हूँ
नहीं आज नहीं
प्लीज सिर्फ एक
अच्छा ठीक है सिर्फ एक ले लो अगर दूसरा लिया तो ये जो आपने 8000-8000 कर रखा है न ये 8000 की बोतल फोड़ दूंगा
अंधा क्या चाहे 2 आंखे
60 ml का एक पटियाला पैग बनाया और पहुंच गए अंजान भाई के भित्ति ग्रह में जहां अंगीठी से पूरा कमरा गर्म हो रखा था। खाना सादा परंतु बेहद नफासत से बनाया व सर्व किया गया था। छोटी छोटी चीजो का ध्यान रखा जा तरह था। कई तरह के अचार, मक्खन और टेस्टी खाना। शायद उन लोगो को हमारी खुराक का अंदाजा नहीं था। खाने में एक रोटी खाने वाले लोगो के लिए उन्होंने ढेर सारा खाना तैयार किया था इतना तो हम चार दिन न खा पाएंगे हंसते हुए मैंने कहा।
अंजान जो हमारा मेजबान था बोला सरजी ऐसे तो यहां ज्यादा दिन जिंदा न रह पाओगे।
खाना खाने के बाद हम लोग अपने कमरे में लौट आये और सोचकर कि आज जल्दी सोते हैं और कल जल्दी निकलेंगे आखिर कल यहां से सांगला तक की दूरी जो तय करनी थी, हम लोग जल्दी अपने बिस्तरों में घुस गए। 4 घंटे की कुलमुलाहट और नींद न आने का घटनाक्रम आप पढ़ ही चुके हैं। सोमवीर को जगा हुआ पाकर जितना सुकून मुझे मिला शब्दों में नहीं लिख सकता। वाकई अजीब स्थिति थी। नाक बंद थी और दोनो के सिर में दर्द था। मुंह ढकें तो सांस नहीं आ रही थी और मुंह बाहर निकालें तो ठंड से जम जा रहे थे। दोनो ने बात करना शुरू कर दिया।
सर् सुना है हिमालय की कंदराओं में ऐसे ऐसे तांत्रिक और अघोरी बाबा हैं जो तंत्र क्रियाएं करते रहते हैं सोमवीर ने कहा।
सब बकवास है तंत्र मंत्र कुछ नहीं होता मैंने कहा।

मैंने तो यह भी सुना है कि इन रहस्यमयी पहाड़ो में आत्माएं विचरण करती हैं।

सुन कम ऑक्सीजन की वजह से तेरा दिमाग खराब हो गया है भाई।
एक काम कर दो चार भूतनियाँ मेरे कमरे में भेज दे और तू बराबर वाले कमरे में जा वो भी खुला हुआ है मैंने हंसते हुए उसको लाइट करने के लिए कहा।
बॉस अगला टूर दक्षिणी भारत का बनाओं पहाड़ों के तो चप्पा चप्पा छान मारा है हमने।
चुप अभी अगले साल एवरेस्ट बेस कैंप चलना है मैंने कहा उसके बाद दक्षिणी भारत चलेंगे।
मैं तो नहीं जाऊंगा। अब तो मैं पहले अगले साल गोआ जाऊंगा।
ठीक है जा मैं किसी और को गोद ले लूंगा जा तेरे बापू की पदवी से त्यागपत्र देता हूँ।
अच्छा चलो बाद में सोचेंगे उसने डरकर कहा।
नहीं अभी फाइनल कर, रात के 2 बजे अगला प्रोग्राम कहते कहते मेरी आँखें बोझिल हो चली थी
उधर से भी कोई जवाब नहीं आया।
देखा कोई मुझे हिला रहा था। चौंककर उठा तो सोमवीर बोला
बॉस ड्राई पिट में नहीं होगा मैंने आजतक बिना पानी के नहीं किया।
अबे सुबह हो गयी क्या मैंने आंखे मलते हुए पूछा।
जी बॉस 7 बजने वाले हैं 8 बजे निकलना है।
और मेजबान भी कहीं दिखाई नहीं दे रहे अभी। बॉस मैं ऐसा करता हूँ गाड़ी में पानी की बोतलें पड़ी हैं न वही इस्तेमाल कर लेता हूँ।
रास्ता दिखा दिया था छोरे ने 😂😂😂
थोड़ी देर बाद पत्थर बनी हुई दो बोतलें लेकर भाईसाहब लौटे।
बोतलें जमी हुई थी और हमारी उम्मीदें भी।
😂😂😂😂
#स्पीति_माइनस_18_डिग्री_सेंटीग्रेड_की_वो_रात_पार्ट_5
24/10/2018
#Spiti_Diaries

अंजान होम स्टे एक स्पीति स्टाइल में बना खूबसूरत मकान था जिसमें लगभग 3 कमरे होम स्टेय की तरह इस्तेमाल किये जा रहे थे। उस दिन किस्मत से कोई बुकिंग नहीं थी तो हम लोगो ने अलग सोने के विचार से ट्रिपल बैड रूम को चयन किया। बदकिस्मती से कुछ दिन पूर्व हुए भारी हिमपात की वजह से काजा से ऊपर के अधिकतर गांवों में सभी टॉयलेट फ्रीज हो चुके थे और इनके पास एकमात्र ऑप्शन स्पीतियन ड्राई पिट्स टॉयलेट उपलब्ध थे। मजबूरी थी थोड़ी न नुकर के बाद कोई चारा न देखते हुए हां कर दी और सामान लगा दिया गया। दिन लगभग छिप चुका था। छाती को चीरने वाली ठंड शुरू हो चुकी थी उसी के साथ अब तक सबसे ऊंचाई पर बिताए जाने वाली रात की भी शुरुवात हो चुकी थी।
वैसे तो मैं 7-8 बार लेह लद्दाख गया हूँ और 5-6 बार इससे पहले भी स्पीति आ चुका था पर संभवतः 4400 मीटर की ऊंचाई पर रात बिताने का पहला अनुभव था। ऊंचाई को पार करना और ऊंचाई पर वक्त बिताना या चलना एकदम अलग है। मुझे अभी भी याद है कि 2016 में लेह ट्रिप के दौरान हम लोगो ने खारदुंगला पास पर लगभग 2 घंटे मस्ती की थी। इसके अलावा दयारा बुग्याल पर भी रात्रि विश्राम कर चुका था, बेदिनी बुग्याल भी रात्रि विश्राम किया था परंतु ये सब जगह ऑक्सीजन क्राइसिस एरिया नहीं हैं तो ज्यादा दिक्कत नहीं आती। स्पीति और लेह ऑक्सीजन डेफिसेन्ट एरिया हैं जहां आप अगर उचित अनुकूलन के बिना जाते हैं तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। खैर चिंता की कोई बात नहीं थी क्योंकि डाईमोक्स टेबलेट अपने पास उपलब्ध थी। सौभाग्य से अभी तक की किसी भी यात्रा में इसको खाने की नौबत नहीं आयी थी हां देने की नौबत कई बार आयी थी।

बॉस आज आपने बिल्कुल नहीं पीने का वायदा किया था सोमवीर बोला

यार एक पैग तो लेने दे। तुझे तो पता है सिर्फ टूर पर ही थोड़ा बहुत लेता हूँ

नहीं आज नहीं

प्लीज सिर्फ एक

अच्छा ठीक है सिर्फ एक ले लो अगर दूसरा लिया तो बोतल फोड़ दूंगा

अंधा क्या चाहे 2 आंखे
60 ml का एक पटियाला पैग बनाया और पहुंच गए अंजान भाई के भित्ति ग्रह में जहां अंगीठी से पूरा कमरा गर्म हो रखा था।
खाना सादा परंतु बेहद नफासत से बनाया व सर्व किया गया था। छोटी छोटी चीजो का ध्यान रखा जा तरह था। कई तरह के अचार, मक्खन और टेस्टी खाना। शायद उन लोगो को हमारी खुराक का अंदाजा नहीं था।
खाने में एक रोटी खाने वाले लोगो के लिए उन्होंने ढेर सारा खाना तैयार किया था इतना तो हम चार दिन न खा पाएंगे हंसते हुए मैंने कहा।

अंजान बोला सरजी ऐसे तो यहां ज्यादा दिन जिंदा न रह पाओगे।

खाना खाने के बाद हम लोग अपने कमरे में लौट आये और सोचकर कि आज जल्दी सोते हैं और कल जल्दी निकलेंगे आखिर कल यहां से सांगला तक की दूरी जो तय करनी थी, हम लोग जल्दी अपने बिस्तरों में घुस गए।
4 घंटे की कुलमुलाहट के बाद का घटनाक्रम आप पहले ही पढ़ चुके हैं।

सोमवीर को जगा हुआ पाकर जितना सुकून मुझे मिला शब्दों में नहीं लिख सकता। वाकई अजीब स्थिति थी। नाक बंद थी और दोनो के सिर में दर्द था। मुंह ढकें तो सांस नहीं आ रही थी और मुंह बाहर निकालें तो ठंड से जम जा रहे थे। दोनो ने बात करना शुरू कर दिया।

सर् सुना है हिमालय की कंदराओं में ऐसे ऐसे तांत्रिक और अघोरी बाबा हैं जो तंत्र क्रियाएं करते रहते हैं। सोमवीर बोला

सब बकवास है तंत्र मंत्र कुछ नहीं होता मैंने कहा।
मैंने तो बॉस यह भी सुना है कि इन रहस्यमयी पहाड़ो में आत्माएं विचरण करती हैं

कम ऑक्सीजन की वजह से तेरा दिमाग खराब हो गया है भाई।
एक काम कर दो चार भूतनियाँ मेरे कमरे में भेज दे और तू बराबर वाले कमरे में जा वो भी खुला हुआ है मैंने हंसते हुए उसको लाइट करने के लिए कहा।

बॉस अगला टूर दक्षिणी भारत का बनाओं पहाड़ों का तो चप्पा चप्पा छान मारा है हमने।
चुप अभी अगले साल एवरेस्ट बेस कैंप चलना है मैंने कहा उसके बाद दक्षिणी भारत चलेंगे।
मैं तो नहीं जाऊंगा। अब तो मैं पहले अगले साल गोआ जाऊंगा।

ठीक है जा मैं किसी और को गोद ले लूंगा जा तेरे बापू की पदवी से त्यागपत्र देता हूँ।
अच्छा चलो बाद में सोचेंगे उसने डरकर कहा।
नहीं अभी फाइनल कर, रात के 2 बजे अगला प्रोग्राम कहते कहते मेरी आँखें बोझिल हो चली थी

उधर से भी कोई जवाब नहीं आया।
देखा कोई मुझे हिला रहा था। चौंककर उठा तो सोमवीर बोला

बॉस ड्राई पिट में नहीं होगा मैंने आजतक बिना पानी के नहीं किया।
अबे सुबह हो गयी क्या मैंने आंखे मलते हुए पूछा।

जी बॉस 7 बजने वाले हैं 8 बजे निकलना है।
और मेजबान भी कहीं दिखाई नहीं दे रहे अभी। बॉस मैं ऐसा करता हूँ गाड़ी में पानी की बोतलें पड़ी हैं न वही इस्तेमाल कर लेता हूँ।

रास्ता दिखा दिया था छोरे ने 😂😂😂
थोड़ी देर बाद पत्थर बनी हुई दो बोतलें लेकर भाईसाहब लौटे।

बोतलें जमी हुई थी और हमारी उम्मीदें भी।
😂😂😂😂
सर बाथरूम में गर्म पानी रख दिया है थोड़ी देर बाद बाहर से अंजान की आवाज आई थी।



6 comments:

  1. बहुत सुन्दर पढ़कर ऐसा लगने लगा हम भी साथ ही हैं सुन्दर लेखन और चित्रण

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  2. बहोत ही सुंदर लेखन...���� अमित जी ,आपने सब आँखो के सामने दिखा दिया..

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    1. धन्यवाद सधाना जी। आपने इसको पढ़ा वाकई कष्टकर रहा होगा 😂😂😂

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  3. चलो इसी बहाने ब्लॉग निरंंतरता बन रही है। सुन्दर।

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