Saturday, November 24, 2018

कॉमिक विलेज स्पीति





#कॉमिक_गांव। 
स्पीति भूक्षेत्र और संभवतः विश्व का सबसे ऊंचा गांव जो सड़क मार्ग से जुड़ा है और मोटरेबल है। लगभग 4700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव की आखिरी जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या सिर्फ 114 थी। प्रकर्ति ने इस पूरे भूभाग को बेहतरीन लैंडस्केप्स से नवाजा है। चारों तरफ श्वेत धवल चोटियों से सुसज्जित पहाड़ किसी कैनवास पर सजी पेंटिंग की तरह दिखते हैं। जिधर भी आपकीं नजर जाएगी उधर ही प्रकृति निर्मित अलग नजारा देखकर आल्हादित हो जाएंगे। यह बारह महीने सड़क मार्ग से जुड़ा है सिर्फ भारी बर्फबारी की वजह से कभी कभी इसका संपर्क जिला मुख्यालय, जो कि लगभग 30 किलोमीटर दूर काजा में स्थित है, से कट जाता है। यहां पर एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ भी स्थित है जिसमें सामुद्रिक जीवन के कई जीवाश्म उपलभ्ध हैं जो इस बात की तस्दीक करते हैं कि लाखों वर्ष पूर्व कभी इस जगह पर समुद्र विद्यमान था जो कालांतर में इन ऊंचे ऊंचे पहाड़ों में तब्दील हो गया। यहां पर रात का तापमान अधिकतर निगेटिव संख्या में ही रहता है जो कि सर्दियों में माइनस 30 या माइनस 40 तक चला जाता है। इस गांव के बेहद निकट स्थित गांव लांगजा की वो रात आज भी मेरे जेहन में ताजा है जब रात का तापमान माइनस 18 डिग्री सेंटीग्रेड था। यहां के लोग बेहद मेहनती जनजातीय लोग हैं। ये लोग सर्दियों के कठिन वक्त के लिए अपने खाने पीने की सभी सामग्री का भंडार गर्मियां खत्म होने से पहले ही कर लेते हैं। आपको यहां हर घर में लकड़ी की अंगीठी( बुखारी) जो कि ऊपर जाकर एक चिमनी से कनेक्टेड होती है जरूर मिलेगी जिससे इनका पूरा घर गर्म और आरामदायक रहता है। यहां पहुंचने के लिए पहले आपको जिला मुख्यालय काजा पहुंचना होता है। काजा बारह महीने सड़क मार्ग से जुड़ा है जहां शिमला, रामपुर पूह नाको और टाबो होते हुए पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा गर्मियों में मनाली होते हुए कुंजम पास को पार करके भी काजा जाया जा सकता है। मनाली से कुंजम पास तक का रास्ता बेहद दुर्गम मगर बेहद खूबसूरत है। यहां वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होने कारण शुरू में कुछ दिक्कत आ सकती है। जाने से पूर्व जरूरी दवाईयां व डाईमोक्स टेबलेट रखना न भूलें।

Sunday, November 18, 2018

चितकुल सांगला यात्रा

  अपनी 10 दिन के भ्रमण के अंतिम पड़ाव के रूप में हम 26 अक्टूबर 2018 को बास्पा घाटी में स्थित भारत तिब्बत सीमा से निकटता में अंतिम गांव चितकुल पहुंचे। चितकुल किन्नौर जिले का एक बेहद खूबसूरत जनजातीय गांव है जो बासपा नदी के तट पर सांगला से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है और बास्पा घाटी का सबसे ऊँचाई पर स्थित गांव है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 3450 मीटर है। यह भारत - तिब्बत सीमा से निकटता में स्थित आखिरी बसे गांव के रूप में भी जाना जाता है।  कैसे पहुंचे- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 22 पर करछम पहुंच कर दाहिने की और बास्पा घाटी जाने वाली सड़क पर सांगला व रकचम होते हुए चितकुल पहुंचा जा सकता है। करछम तक सड़क मार्ग बहुत अच्छा बना है पर वहां के बाद मार्ग दुर्गम है और अक्सर भूस्खलन होते रहते हैं। सड़क मार्ग से शिमला से चितकुल की दूरी लगभग 250 किलोमीटर और दिल्ली से 490 किलोमीटर है।   वैसे तो प्रकर्ति ने इस पूरे क्षेत्र को ही बेपनाह खूबसूरती से नवाजा है चारों और ऊंचे सफेद वस्त्र पहने पहाड़, नीचे कर्णप्रिय संगीत सुनाती बलखाती बास्पा नदी, देवदार के हरे भरे वन, सेव से लदे बागीचे हर चीज दर्शनीय है। अन्य प्रमुख आकर्षण में से एक बास्पा नदी के दाहिने तट पर स्थित इस ग्राम में ‍स्थानीय देवी माथी का मंदिर बना हुआ हैं जो गांव के मूल निवासियों द्वारा माता देवी के रूप में भी जाना जाता है और हिंदू देवी गंगोत्री को समर्पित है, यह मंदिर पर्यटकों और मूल निवासियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। इसके अलावा इसी मार्ग पर चितकुल से पहले पड़ने वाला रकचम अपनी प्राकर्तिक सुन्दरता और अनगिनत पानी की धाराओं की वजह से देश भर में प्रसिद्ध है।   कहाँ ठहरें- पर्यटन उद्योग के विकास के साथ ही अब चितकुल और पास ही स्थित रकचम व सांगला में ठहरने के लिए पर्यटकों के पास ढेरों ऑप्शंस हैं। ढेर सारे होटल्स, लॉज, गेस्ट हाउस के अलावा होम स्टे में रुकना भी एक अलग ही अनुभव है। मैं अपनी इस यात्रा में 1 रात सांगला में होम स्टे में रुका और दूसरी रात रकचम स्थित ITBP कैम्प में ऑफिसर्स मैस में रुकने का मौका मिला।  इनके अलावा कई कैम्पिंग साइट्स भी रुकने का एक अनुभव देती हैं। इस दुर्गम इलाके में आप अपना रुकने का इंतजाम पहले से ही कर लें तो ज्यादा उचित रहता है। चितकुल में हिमाचल टूरिज्म व PWD का गेस्ट हाउस भी है।   सर्दियों के दौरान, इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है और इसके कारण इस क्षेत्र में रहने वाले लोग निचले हिमाचल के क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यहां दिन का तापमान अधिक और रात्रि तापमान बेहद कम रहता है इसलिए जब भी आएं भारी वूलन कपड़े जरूर साथ लाएं। सर्दियों में यहां पानी जमने लगता है जिस वजह से सर्दियों में मूल निवासी शौच वगेरह के लिए ड्राई पिट शौचालयों का उपयोग करते हैं।  चितकुल गांव से ट्रेकर्स चितकुल पास व गंगोत्री के लिए ट्रेकिंग का आरंभ करते हैं। यह ट्रेकिंग कठिन ट्रेकिंग यात्राओं में शुमार होती है।  इस दुर्गम पहाड़ी इलाके में एटीएम आपको मुश्किल से ही दिखाई देता है।  निकटतम पेट्रोल पंप पोवारी लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित है। सांगला व चितकुल में पेट्रोल पंप की सुविधा नहीं है। संचार सुविधाएं उपलब्ध हैं और रक्चम तक BSNL व जियो का नेटवर्क अच्छा कार्य करता है