Saturday, September 23, 2023

मेहनतकश और ईमानदार लोग

"पापा, आप इस ठेले वाले के पास हॉर्न क्यों नहीं बजा रहे हो?"

"मेरी छोटी बेटी, जो अब इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की छात्रा है, ने मेरी ओर देख कर थोड़ा परेशान होकर पूछा।"

आज सुबह उनका और उनके रिश्ते के भाई का प्रोग्राम था कि वे मेरे साथ मेरे ऑफिस चलेंगे और वहां बैडमिंटन खेलेंगे, घोड़े देखेंगे, और मौका मिला तो घोड़ों के ऊपर बैठकर फोटो भी खिचवाएंगे।

मेरा ऑफिस दिल्ली के बाहरी क्षेत्र में पड़ता है, जहां एकदम खुला और हरा भरा कैंपस है, जिसमें मोर और अनेकों प्रकार के पक्षी आदि खुले एरिया में विचरण करते रहते हैं। वहीं कैंपस में ही इंडोर बैडमिंटन कोर्ट और घुड़साल भी है जहां पर बेहतरीन घोड़े हैं।

सुबह 9.30 पर घर से अपनी SUV गाड़ी से हम तीनों लोग निकले। 
अब नजफगढ़ से बहादुरगढ़ जाने वाली सड़क पर गाड़ी चल रही थी। पिछले छह महीने से यह चार किलोमीटर का रास्ता एक सजा की तरह हो गया है।

सड़क के साइड में, गहरे सीवर का काम कछुवे की सरकारी गति से चल रहा है और एक तरफ की पूरी सड़क बंद होने के चलते पूरा ट्रैफिक एक साइड से ही चलता है।

आज सुबह भी ट्रैफिक थोड़ा ज्यादा था, बच्चे बेसब्र हो रहे थे और मेरी गाड़ी के सामने एक ठेले/रिक्शा वाला ढेर सारा सामान अपने ठेले पर लादे हुए धीरे धीरे चल रहा था।

पतला दुबला सा अधेड़ सी उम्र का वो व्यक्ति पसीने में तरबतर अपनी पूरी शक्ति के साथ ठेले को पैडल से चलाने में लगा था।

दूसरी तरफ से गाड़ियों का रेला और इधर से मेरी गाड़ी के आगे बेचारा ठेले वाला। काफी देर तक ऐसे ही चलता रहा मगर मुझे आगे निकलने का रास्ता नहीं मिला और न ही मैंने उस रिक्शा वाले को हॉर्न दिया।

दोनों बच्चे परेशान होने लगे थे और मेरी बेटी बोली, 'पापा, आप हॉर्न क्यों नहीं बजा रहे हो? वो कच्चे में कर लेगा अपनी रिक्शा को।

मैंने गंभीर होकर उसको बोला की नहीं, बेटा, इस सड़क पर पहला हक उसका है।

बेटी ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा कि वह कैसे?

मैंने कहा कि वह आदमी अपनी पूरी कोशिश कर रहा है अपनी गाड़ी को चलाने के लिए। उसे भी पता है कि उसके पीछे गाड़ी आ रही है। गाड़ी का क्या है, वह तो कहीं भी ओवरटेक कर लेगी, गड्ढों से भी निकल जाएगी, खराब रास्ते से भी आगे निकल सकती है, मगर अगर मैं उसको हॉर्न दूंगा तो वह और अतिरिक्त कोशिश कर सकता है मुझे रास्ता देने के लिए, यह भी संभावना है कि वह खराब रास्ते पर अपनी रिक्शा डाल ले, जहां से उसको निकलना और मुश्किल हो।

ये मेहनतकश और ईमानदार लोग हैं, यही वास्तविक भारत है। अपने परिवार के भरण पोषण के लिए वो अथक मेहनत करते हैं और अपना खून पसीना बहाते हैं।

कितने लोग गलत काम करते हैं, जीवन में पैसे कमाने के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं, मगर उसने ऐसा नहीं किया। उसने मेहनत को अपने जीवन के लिए चुना। 
"इस सड़क पर गाड़ी से ज्यादा हक उनका है।"

मैं अक्सर रिक्शा वालों को, पैदल चलने वाले लोगों को, बुजुर्ग लोगों को रास्ता देने के लिए अपनी गाड़ी रोक लेता हूँ।

बेटी को आज जीवन का बड़ा सबक मिला था। वह प्यार और आदर के साथ मेरी ओर देख रही थी।

उसके पापा का यह रूप पहली बार उसको पता चला था।

शायद एक अनमोल सबक आज जीवन भर के लिए उसको मिल गया था। मेहनतकश और ईमानदार लोग किसी भी समाज में महत्वपूर्ण होते हैं। उन्हें सम्मान और सहानुभूति का हक होता है, और हमें उनके प्रति आदर दिखाना चाहिए। देश की तरक्की में उनका भी उतना ही योगदान है जितना किसी और का।"
©Dr Amit Tyagi 

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