Tuesday, February 2, 2016

7-नए दायित्व की शुरुवात


वर्ष १९२३ में ताराचंद का स्थानांतरण संयुक्त प्रान्त के बुंदेलखंड संभाग के झांसी जिले के लिए हो गया। अगले छह सात वर्ष युवक अधिकारी को इसी संभाग के झांसी ललितपुर आदि जिलों में विभिन्न थानो का दायित्व सौंपा जाता रहा। यह संभाग अपराध बहुल एवं डाकू आतंक से बुरी तरह ग्रस्त था। इन छह सात वर्षों में युवा अधिकारी को अपनी कार्यक्षमता साहस व् ईमानदारी दिखाने का भरपूर अवसर मिला।

                 झांसी व् ललितपुर जिलों  की भौगोलिक स्थिति एवं सामाजिक संरचना अपराध व् अपराधियों के लिए बहुत अनुकूल थी। चम्बल नदी के बीहड़ एवं यहाँ के सघन वन क्षेत्र डाँकूओ और अपराधियों के छुपने तथा पुलिस से लम्बे समय तक बचे रहने के आदर्श स्थान थे। डाँकूओ को संरक्षण देने तथा उन्हें भोजन एवं हथियार आदि उपलब्ध कराने की बहुत पुरानी व्यवस्था विस्थापित थी। कुछ सफ़ेदपोश  लोग और यहाँ तक की पुलिस विभाग के भी कुछ लोग इस अपराधिक गठजोड़ में शामिल थे। बदले में समाज के ये सफेदपोश अपराधी आर्थिक लाभ पाते थे तथा समाज के भले लोगों को डरा धमकाकर अपनी सम्पनता व् हैसियत बढ़ाते थे। बहार के दूसरे जिलों से पैसे वाले लोगों का अपहरण करके पकड़ यहाँ लायी जाती थी तथा बीहड़ों व् घने जंगलों में छुपाकर रखी जाती थी। बाद में इस अपराध में सक्रिय  बिचौलियों के माध्यम से सौदेबाजी होती तथा मोटी फिरौती की रकम वसूल की जाती। इस फिरौती का एक बड़ा हिस्सा इन सफेदपोश अपराधियों तथा कुछ मामलों में पुलिस के पास भी पहुँचता था।

              झांसी के एक महत्वपूर्ण थाने का चार्ज मिलने के कुछ ही दिनों के अंदर युवा अधिकारी ताराचंद ने इस क्षेत्र में व्याप्त अपराध व् अपराधियों की कुंडली खंगाल डाली। अपराधियों, विशेषकर डकैतों को व् संरक्षण सुविधा उपलब्ध कराने वाले तत्वों को चिन्हित किया गया तथा उन पर निगरानी रखने की व्यवस्था की गयी। युवा अधिकारी ने अपनी आदत के अनुसार इस  अपराध उद्योग के निराकरण के लिए कुछ ठोस प्रयास करने की ठानी। इस सबके लिए उच्च अधिकारीयों की सहमति, सहयोग, तथा एक विशेष एक्शन प्लान की जरुरत थी।
            
            युवा अधिकारी ने इस स्थिति अपने आंकलन व् एक्शन प्लान के बारे में झांसी के तत्कालीन पुलिस कप्तान मिस्टर माइकल को अवगत कराया।
          मिस्टर माइकल ने बहुत ध्यान से ताराचंद के पूरे प्लान को सुना व् समझा, बीच बीच में कुछ सवाल भी उठाये। अंत में कुछ देर चुप रहने व् सोचने के बाद प्रशंशा भरी नजरों से युवा ताराचंद की और देखा और कहा
      " वेल मिस्टर ताराचंद, मुझे तुमसे कुछ कुछ ऐसी ही उम्मीद थी। मैं तुम्हारे चार्ज लेने के बाद व् मेरे सम्मुख पहली पेशी के वक्त ही भांप गया था की तुममे ऊर्जा है क्षमता है तथा अपने कार्य के प्रति बेहद ईमानदारी है। ठीक है, आगे बढ़ो तथा समय समय पर मुझे अपनी प्रगति व् जरूरतों से अवगत करते रहो।"
युवा ताराचंद ने धन्यवाद बोलते हुए जाने की इजाजत मांगी।

          युवा ताराचंद के लिए अपने उच्च अधिकारी की प्रशंशा व् समर्थन मिलना बहुत ही उत्साह जनक था।
युवा अधिकारी ने बिना समय गँवाय इस दिशा में अपने प्रयास तेज कर दिए| सबसे पहले अपने अधीनस्थ स्टाफ के साथ एक गोपनीय बैठक की| अधिकारी ने अपने स्टाफ से कुछ आवश्यक जानकारियां ली तथा उन्हें आवश्यक निर्देश दिए| पुलिस विभाग में भरोसेमंद मुखबिर तथा इनसे प्राप्त जानकारियां बहुत महत्वपूर्ण होती हैं| इस प्रकार कुछ स्थानीय मुखबिरों को भरोसे में लेकर उनसे जानकारियां प्राप्त की गयी तथा उनसे और अधिक जानकारियां इकठ्ठा करने को कहा गया| थाने में असलहों की काफी कमी थी जिसको पुलिस कप्तान माइकल ने शीघ्र ही पूरा करा दिया| मुखबिर सक्रिय हो गए तथा अधीनस्थ स्टाफ ने भी निर्देशानुसार अपराधियों की पकड़ के लिए जाल बिछाना शुरू कर दिया|

5 comments:

  1. टंकण में छूट रहे हैं शब्द ध्यान दें जैसे वर्ष १९२३ में ? का स्थानांतरण

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  2. read twice before final click amit...

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