Thursday, February 11, 2016

11-चारित्रिक विवेचना

विश्व में अंग्रेज कौम विशेषकर इंग्लैंड के सन्दर्भ में बेहद परम्परावादी तथा अपने अतीत के प्रति कुछ अधिक ही मोहग्रस्त है। विश्व के अनेक देशों में अपने सम्राज्य्वादी इतिहास के कारण इस कौम को अपनी श्रेष्ठता का भी अनावश्यक अभिमान रहा है। भारत तथा विश्व के कुछ और देशो में अपने साम्राज्य की स्थापना तथा लम्बे समय तक उसे बनाये रखने के दौरान इस कौम का इतिहास एक शोषक के रूप में रहा है। शोषक के रूप में अपने अतीत के कारण इस कौम का चरित्र कई बुराईयों से ग्रस्त रहा। इसके चरित्र में अच्छाई, बुराई, छल कपट के साथ ही त्याग व् वीरता का भी विचित्र मिश्रण देखने को मिलता है। इसी कारण इस कौम में अनेक बुद्धिजीवी, विचारक, साहित्यकार व् योद्धा भी पैदा हुए हैं। 

     भारत में ब्रिटिश शाशन के दौरान नागरिक प्रशाशन के उच्च पदों पर अंग्रेज अधिकारियों की ही नियुक्ति होती थी। कमिश्नर, जिला कलेक्टर, पुलिस कप्तान व् पोस्ट मास्टर जनरल जैसे पदों पर अंग्रेज अधिकारी ही नियुक्त होते थे। यही हाल सैन्य सेवाओं का भी था। प्रशाशन के निचले पदों पर ज्यादातर भारतीय नियुक्त किये जाते थे। 

     भारत में प्रशाशन के उच्च पदों पर रहते हुए अंग्रेज अधिकारीयों के चरित्र में अनेक बुराईयाँ घर कर गयी थी। क्लब, डांस, शराब, जुआ, तथा अयाशियाँ आदि इनके चरित्र की कुछ ऐसी बुराईयाँ थी जो इनकी जीवन शैली में पूरी तरह व्याप्त हो गयी थी। लेकिन उपरोक्त बुराईयों के बावजूद इन अंग्रेज अधिकारियों के चरित्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता भी थी। साहस, ईमानदारी तथा कर्मठता जैसे मानवीय गुणों के प्रति इनमें बेहद आकर्षण था। अपने अधीनस्थ जिस अधिकारी में भी वो ये गुण पाते थे, उसकी प्रशंशा व् हौसलाअफजाई करने में भी कोई कंजूसी नहीं करते थे। 

     कप्तान माइकल व् इंस्पेक्टर ताराचंद के बीच भी कुछ इसी प्रकार का भावनात्मक रिश्ता कायम हो गया था। जैसे ही कप्तान माइकल ने इंस्पेक्टर ताराचंद में इन गुणों को पाया उसने प्रोटोकॉल से हटकर भी इंस्पेक्टर की सार्वजानिक प्रशंशा व् हौसलाअफजाई की। वास्तव में कप्तान माइकल खुद एक हद तक ईमानदार व् कर्तव्यनिष्ठ ऑफिसर थे। इस प्रकार कप्तान माइकल को यह महसूस होता था की इंस्पेक्टर ताराचंद की प्रशंशा करके वह स्वयं की भी प्रशंशा कर रहा है और उनको एक बेहद आत्मसंतोष की अनुभूति होती थी। 

     एक चरित्रहीन व्यक्ति कभी भी एक चरित्रवान व्यक्ति की प्रशंशा नहीं कर सकता, यह उसके लिए आत्मघात के समान होता है। जबकि एक चरित्रवान व्यक्ति दूसरे चरित्रवान व्यक्ति में अपना ही रूप देखता है। यह उसके चरित्र की धार को और अधिक चमकाता है तथा अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए और अधिक आत्मविश्वास पैदा करता है। एक योद्धा ही दूसरे योद्धा की प्रशंशा कर सकता है तथा उसका सही मूल्यांकन कर दोनों ही एक दूसरे के पूरक हो जाते हैं।

कप्तान माइकल के सन्देश के अनुसार इंस्पेक्टर ताराचंद अगले दिन उनसे मिलने मुख्यालय पर पहुंचे। मिलने पर इंस्पेक्टर ताराचंद ने एक बार पुनः कल के सन्देश के लिए कप्तान का धन्यवाद किया। कप्तान माइकल ने बड़े ही प्रशंशा भाव से उसी तरह इंस्पेक्टर की तरफ देखा जैसे किसी घर का सदहृदय मुखिया अपने परिवार के किसी सदस्य की बड़ी उपलब्धि पर उसकी और देखता है। इसके बाद कप्तान ने पुलिस मुख्यालय इलाहबाद से प्राप्त पदक के विषय में गवर्नर ऑफिस से जारी अधिसूचना की प्रति इंस्पेक्टर को दी तथा २० मार्च को होने वाले समारोह के विषय में मुख्यालय से प्राप्त प्रोग्राम तथा प्रोटोकॉल का विवरण भी दिया। कप्तान ने उस दिन संपन्न होने वाले समारोह के प्रोटोकॉल आदि के विषय में अपनी तरफ से निर्देश दिए। कप्तान माइकल ने हँसते हुए कहा मिस्टर ताराचंद ये केवल तुम्हारा ही सम्मान नहीं है मैं भी अपने को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। झाँसी के पूरे पुलिस विभाग में इसका बड़ा सकारात्मक और प्रेरक सन्देश गया है। कुछ देर की चुप्पी के बाद कप्तान ने पुनः जोर से हँसते हुए कहा लेकिन लगता है ये खबर यहाँ के अपराधियों व् डकैतों को काफी बुरी लगने वाली है। इंस्पेक्टर ताराचंद ने भी हँसते हुए कहा की श्रीमान इस सब में आपके सहयोग और दिशानिर्देशों का बहुत बड़ा हाथ है। कप्तान ने फिर बताया की प्रोटोकॉल के अनुसार उस दिन समारोह में मुझे भी उपस्थित रहना होगा तथा नियमानुसार पदक प्रदान करने से पहले तुम्हारी उपलब्धियों की संक्षिप्त जानकारी भी मुझे ही देनी होगी। इस के बाद कुछ आवश्यक विचार विमर्श के बाद इंस्पेक्टर ताराचंद ने कप्तान माइकल से जाने की इजाजत मांगी। 
थाने पहुँच कर इंस्पेक्टर ताराचंद ने अफसर दोयम यादव और थाने के बड़े मुंशी को २० मार्च से पहले पुलिस मुख्यालय इलाहबाद पहुँचने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा। इसके बाद थाने में पहले से ही बैठे हुए कुछ शहरवासियों की समस्या सुनने में व्यस्त हो गए। 

झाँसी शहर की कानून व्यवस्था की स्थिति काफी सुधर गयी थी। ज्यादातर अपराधियों व् उनको संरक्षण देने वालो ने चुपचाप भूमिगत हो जाने में ही अपनी खैरियत समझी। अरसे से इस क्षेत्र या आसपास के क्षेत्र में किसी डकैती या बड़े अपराध की घटना नहीं हुयी। 


दो दिन बाद नगरपालिका झाँसी में भी मेयर ने एक भव्य अभिनन्दन समारोह रखा जिसमे शहर के काफी नागरिक सम्मिलित हुए। मेयर ने अपने सम्बोधन में कहा की इंस्पेक्टर ताराचंद ने साहब ने यह साबित कर दिया है की यदि एक दृढ इच्छाशक्ति वाला अधिकारी ईमानदारी से अपने फर्ज को पूरा करने की ठान ले तो उसके नतीजे चमत्कारी होते हैं। आज इस शहर के ग्रामीण अंचल में डाकुओं का आतंक लगभग खत्म हो गया है इसके साथ ही कालाबाज़ारी तथा खाद्यवस्तुओं में मिलावट करने वाले अपराधी भी जेलों में हैं। 

5 comments:

  1. उत्तम चरित्र के बिना शिखर पर नही पहुचा जा सकता
    इस कहानी को पढने के उपरान्त जीवन के हर कर्तव्य का बोध होता है

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  2. उत्तम चरित्र के बिना शिखर पर नही पहुचा जा सकता
    इस कहानी को पढने के उपरान्त जीवन के हर कर्तव्य का बोध होता है

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  3. origin with factual story regarding struggling and advancement of life in systematic manners......

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