Tuesday, February 9, 2016

10-अतीत का रोमांच

मेरा झाँसी प्रवास व् भ्रमण बहुत ही सुखद और प्रेरणादायक रहा। वहां जुटाई जानकारियों, इससे जुड़े घटनाक्रम और घटनाक्रम के मुख्य चरित्र इंस्पेक्टर ताराचंद ने मुझे बेहद प्रभावित किया। युवावस्था में किसी भी व्यक्ति की कुछ भौतिक आवश्यकताएं तथा अपने व् अपने परिवार के लिए कुछ सपने होते हैं। यह होना एक बेहद स्वाभाविक बात है। इन सबके लिए साधन व् पैसे की आवश्यकता होती है। पुलिस विभाग में नौकरी करते हुए गलत साधनो से आसानी से पैसा इकठ्ठा किया जा सकता है तथा युवावस्था के धन से जुड़े सभी सपने पूरे किये जा सकते हैं।  लेकिन इस सुलभ अवसर का लाभ न लेकर तथा अपनी भौतिक आवश्यकताओं व् इच्छाओं को सीमा में बांधकर जब कोई युवा अपने फर्ज को पूरा करने तथा अपने आदर्श व् मूल्यों को बनाये रखने में  बेहद ईमानदार साबित होता है तो यह सराहनीय व् दूसरों के लिए बेहद प्रेरणादायक साबित हो जाता है। अपने परिवार के अतीत को खंगालने के दौरान मैंने यह पाया की इस परिवार के मुख्य किरदार इंस्पेक्टर ताराचंद ने अपनी भावी पीढ़ियों के लिए एक उत्कृष्ट विरासत छोड़ी है। 

बाद के दिनों में इंस्पेक्टर ताराचंद से जुडी अतीत की उन सभी घटनाओं व् इन सबका अपने आज के परिवार पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करते हुए मैंने समझा की अतीत एक केवल गुजर गया घटनाक्रम नहीं है। इसका प्रभाव व्यापक तौर पर वर्तमान पर होता है। इक पुरानी कहावत "जो बीत गया सो बीत गया आगे की सुधि ले" मात्र एक हो चुकी घटना के अच्छे या बुरे प्रभाव तक ही सीमित है। एक समृद्ध व् गौरवशाली अतीत का वर्तमान भी उत्कर्ष होगा इसकी सम्भावना प्रबल होती है पर एक निष्क्रिय, भ्रष्ट और अनैतिक अतीत की विरासत ढोते हुए आमतौर पर कोई भी वर्तमान उत्कर्ष और सम्पूर्ण नहीं हो सकता।

किसी भी कालखण्ड में, किसी भी देश या देश के एक भाग में, राजनीतिक, सामाजिक व् आर्थिक परिस्थितियां समय के साथ बदलती रहती हैं। पर कुछ आदर्श व् मूल्य सर्वकालिक व्  शाश्वत होते हैं लेकिन कितनी भी विषम परिस्थितियों के चक्रव्यूह को भेदकर जो चरित्र अपने आदर्श व् मूल्य बनाये रखता है वही भविष्य में पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक होता है। अपने परिवार के उस अतीत का वर्तमान पर जो प्रभाव हुआ है उसका और अधिक विश्लेषण करने पर मैं चौकन्ना हो गया और इस निष्कर्ष पर पहुंचा  की एक व्यक्ति के लिए जीवन में काफी सजग रहने की आवश्यकता है। यदि व्यक्ति अपने जीवन में आदर्श व् मूल्यों के प्रति जागरूक व् ईमानदार है तो उसके चरित्र का जरा सा भी विचलन आने वाले कल व् पीढ़ियों के लिए नकारात्मक व् दुविधापूर्ण परिस्थितियां पैदा कर सकता है। 

आज हम सब जो जहाँ हैं सब वर्तमान के शिल्पकार हैं। अपने अतीत से प्रेरणा व् ऊर्जा लेकर व् एक सीमा तक नियति द्वारा निर्धारित कर्मक्षेत्र में अपनी भूमिका निभाकर भविष्य की रचना कर रहे हैं। इस प्रकार हम सब यानी आज का वर्तमान अतीत व् भविष्य की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। जीवन की अनादि व् अनंत श्रंखला में वर्तमान रुपी इस कड़ी का बहुत महत्त्व हैं। इस प्रकार अतीत को सही ढंग से समझना तथा वर्तमान में अपनी भूमिका का ईमानदारी व् सावधानी पूर्वक निर्वाह उज्जवल भविष्य के लिए अनिवार्य है। अपनी इस कर्मयात्रा में कहीं अनैतिक या भ्रष्ट पथ विचलन न हो जाये इसके लिए जीवन में आदशों  व् मूल्यों के प्रति प्रबल आग्रह अति आवश्यक है। 

समय या काल असीम व् अनंत है तथा निरंतर गतिमान है। हम सब को ही किसी न किसी रूप से समय की अविरल गति के साथ तालमेल बैठाना होता है। समय के इस अनंत महासागर में हम सब अपनी अपनी क्षमता व् नियति के अनुसार जीवन रूपी नौका को चला रहे हैं। हममें से बहुत से इस महासागर में बहुत दूर तक नहीं जा पाते और इस प्रकार हमारा कर्मक्षेत्र बहुत ही सीमित रह जाता है। लेकिन हममें से कुछ दृढ इरादे व् अद्भुत साहस के साथ इसकी अथाह गहराईयों को नापते हैं तथा अनमोल मोती निकालकर आने वाली पीढ़ियों को उपहार देते हैं। इस प्रकार समय चक्र चलता रहता हैं। घटित घटनाएँ सापेक्ष होती हैं लेकिन आदर्श व् मूल्य शाश्वत होते हैं। 

इंस्पेक्टर ताराचंद का झाँसी का कार्यकाल ठीक ठाक चल रहा था। इस समय तक उनके खाते में अपराध उन्मूलन को लेकर कई नयी उपलब्धियां दर्ज हो गयी थी। इसकी सूचना बराबर जिला मुख्यालय व् प्रदेश पुलिस मुख्यालय तक पहुँच रहीं थी। उच्च अधिकारीयों व् शहर के अनेक गणमान्य नागरिकों द्वारा प्रेषित कई प्रशंशा पत्र भी प्राप्त हो रहे थे। थाने के अधीनस्थ स्टाफ को भी इन उपलब्धियों व् इस कार्यशैली से मजा आने लगा था। सच्चाई व् ईमानदारी से उत्पन्न वातावरण बेहद सुखद व् गौरवशाली अनुभूति पैदा करता है। स्टाफ यह अनुभव कर रहा था कि भ्रष्ट आचरण से प्राप्त रसमलाई के मुकाबले ईमानदारी से प्राप्त रोटी का स्वाद ज्यादा सुखद व् मीठा होता है। पूरा स्टाफ अपने को भयमुक्त, ऊर्जावान तथा पहले से कहीं बेहतर अनुभव कर रहा था। 

यह सन १९२५ का फरवरी महीना था। चारों और बसंत की खुशनुमा शुरुवात हो चुकी थी। मौसम बेहद सुखद और ऊर्जावान था। इंस्पेक्टर ताराचंद अपने सुबह के दैनिक कार्यक्रम निबटा कर थाने में आये शहर के कुछ गणमान्य नागरिकों के साथ बैठे विचार विमर्श कर रहे थे, तथा शहर की क़ानून व्यवस्था की स्थिति पर उनके विचार प्राप्त कर रहे थे। तभी थाने के मुंशी ने आकर बताया की हुजूर कप्तान साहब वायरलेस पर आपसे बात करना चाहते हैं। इंस्पेक्टर ताराचंद ने तुरंत वायरलेस पर कप्तान साहब को सुना। 

पुलिस कप्तान माइकल ने कहा " बधाई, मिस्टर ताराचंद आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है। आज ही पुलिस मुख्यालय इलाहबाद से सन्देश प्राप्त हुआ है कि तुम्हारा भारतीय पुलिस  पदक कन्फर्म हो गया है। यह पुलिस पदक तुम्हे अगले माह की २० तारीख को पुलिस मुख्यालय पर एक समारोह में गवर्नर द्वारा प्रदान किया जायेगा। तुम कल ही पुलिस मुख्यालय आकर मुझसे मिलो, इस विषय में उचित निर्देश मैं तुम्हें मिलने पर ही दूंगा।" इंस्पेक्टर ताराचंद ने पुलिस कप्तान का आभार प्रकट किया और उनको धन्यवाद दिया। यह सुनकर पास ही बैठे अफसर दोयम सब इंस्पेक्टर राजपाल यादव अति उत्साहित हो गए और कहा " श्रीमान इस अवसर को हम सब जरूर सेलेब्रेट करेंगे।" पास बैठे नागरिकों और विशेषकर झाँसी के डिप्टी मेयर ने इस सुझाव का तुरंत समर्थन किया। थोड़ी देर में ही मिठाई आदि की व्यवस्था की गयी और पूरा थाने का माहौल बेहद उल्लासपूर्ण हो गया। डिप्टी मेयर ने भी कहा "इंस्पेक्टर साहब हम भी इस मौके को नहीं चूकेंगे और नगर पालिका प्रांगण में एक अभिनन्दन समारोह का आयोजन करेंगे।" इंस्पेक्टर ताराचंद ने सबका हार्दिक धन्यवाद किया और अपने दूसरे कामों को निबटाने के लिए इजाजत चाही। 

10 comments:

  1. बहुत ही बेहतरीन

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  2. बहुत ही बेहतरीन

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  3. पूर्णतः आध्यात्मिक एवम् विचारोन्मुखी लेख अमित :)

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  4. बढ़िया श्रृंखला चल रही है...

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  5. नमस्ते त्यागी सर!
    मुझे कुछ विशेष जानकारी मुहैया करना था अबतक के पुलिस प्रशाशन का समाज में योगदान को लेकर एव उनके भागीदारी से किस प्रकार समाज और पुलिस प्रसाशन के सम्बन्ध में एकरूपता आई है आधुनिक समय में।
    समय मिले तो अवश्य बताएं आपक आभारी रहूंगा।
    धन्यवाद!

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